खामोश चेहरों के पीछे – पार्ट 1 : एक अनजान चिठ्ठी गंगू दौलतपुर गाँव वैसे तो शांत और साधारण था, लेकिन उसकी खामोशी में भी कई अनकहे किस्से दबे थे। सुबह-सुबह खेतों से मिट्टी की खुशबू उठती और बैलों की घंटियों की टनटनाहट गूंजती, तो लगता जैसे जिंदगी हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी। मगर उस दिन की सुबह ने मेरी जिंदगी का रास्ता बदल दिया।मैं, राघव, एक साधारण किसान परिवार का बेटा। मेरी दुनिया खेत, किताबें और गाँव की गलियों तक ही सीमित थी। लेकिन उस सुबह, डाकिया जब मेरे दरवाज़े पर आया, उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी।“राघव, तेरे