भाग 1: बचपन से स्वाभिमान तकमेवाड़ की धरती, जहाँ सूरज की पहली किरणें सोने सी चमकती हैं, उसी धरा पर 1540 के आसपास एक नन्हा राजकुमार जन्मा। उसका नाम था प्रताप। बचपन से ही उसका मन कुछ अलग करने की चाह से भरा था।महाराणा उदय सिंह के परिवार में जन्मा यह बालक सामान्य से नहीं था। उसकी आँखों में जलती थी एक आग, जो उसे अपनी धरती के लिए लड़ने का साहस देती थी। गाँव के बच्चे खेलते-खेलते तलवार के आकार की लकड़ी लेकर उसकी नक़ल करते, पर प्रताप का दिल उस लकड़ी से कहीं ज्यादा बड़ा था।राजमहल के आंगन में