ओ मेरे हमसफर - 12

(रिया अपनी बहन प्रिया को उसका प्रेम—कुणाल—देने के लिए त्याग का झूठ बोलती है कि वह आदित्य से प्रेम करती है। सगाई की शाम, हँसी के पीछे कई दिल टूटते हैं। प्रिया कुणाल से सगाई करती है, जबकि रिया अपने IAS सपने को दबा देती है। कुणाल उलझन में है, भानु अपने एकतरफा प्रेम में टूट जाती है और ललिता द्वारा तिरस्कृत होती है। प्रिया रिया के अधूरे सपनों की सच्चाई से बेचैन हो उठती है। डोगरा हाउस में प्रिया अपने माता-पिता से रिया को उसकी राह पर चलने देने की विनती करती है। कहानी बलिदान, प्रेम और आत्म-साक्षात्कार की