(रिया अपनी बहन प्रिया से झूठ बोलती है कि वह आदित्य को चाहती है और वह आदित्य की बनना चाहती है। ताकि प्रिया को उसका कुणाल मिल जाए। सगाई की शाम सबके चेहरों पर मुस्कान है, पर दिलों में उलझनें हैं। प्रिया, जो कुणाल से प्रेम करती है, उसके साथ सगाई करती है—कांपते हाथों और झुकी नज़रों के साथ। कुणाल इस बंधन को समझ नहीं पाता, पर ललिता का स्नेह उसे छू जाता है। विदाई के बाद कार में ललिता के शब्द “नींव ना हिलने पाए” कुणाल के मन को झकझोरते हैं। क्या वह इस परिवार की नींव बन पाएगा,