सच्ची संवेदनाएँ बनाम सोशल मीडिया

"एक संवेदनात्मक कथा जो झूठे दिखावे और असलियत के बीच की दूरी को उजागर करती है।" दौर है ये सोशल मीडिया का जब ऐसे हर मौके पे गजब के सतरंगी मेसेज की बाढ़ सी दिखती है। बेशक रियल लाइफ में कोई इमोशन्स नहीं हो, लेकिन दिखावे के बाजार में बेहतरीन पोस्ट्स बेचे जाते हैं। आज फादर्स डे के मौके पे हर जगह अच्छे विचार, पोस्ट्स और मेमोरीज़ शेयर किए हुए देखे तो मुझे लगा कि जो रियल लाइफ में मैंने देखा और महसूस किया उन संवेदनाओं को उतारा जाए। मेरे एक क्लोज़ फैमिली फ्रेंड हैं जिनके साथ अच्छे वक्त तक