सत्ता, सौ Voter वाले एक BHK घर आदि

एक  हास्य-व्यंग्य कविता, जो राजनीति की चटपटी चालों और वोट की मिर्ची से सत्तू पार्टी की हालत पर तंज कसती है:️ वोट की मिर्ची और सत्तू पार्टी की खट्टी डकारचुनाव आया, ढोल बजे,  नेता जी फिर से बोल उठे।  "हम लाएंगे विकास की गाड़ी,  बस वोट दो, बाकी झाड़ी!"पोस्टर लगे हर दीवार पर,  सपनों की दुकान सजी बाजार पर।  वोटर बोला, "अबकी बार,  सच में चाहिए कुछ सुधार!"पर नेता जी थे चालाक बड़े,  वोट की मिर्ची चुरा ले गए झोले में पड़े।  गली-गली में वादा बाँटा,  पर सच्चाई को फिर से काटा।सत्तू पार्टी ने खूब रगड़ा,  झूठ का पाउडर, सच पे चढ़ा।  "हम ही हैं देश के रखवाले,"  कहकर खा गए सत्तू