पिछली बार क्या हुआ था:अनिरुद्ध की बंद आंखों के सामने जब एक चमकदार नीली रेखा उभरी और उसने प्रथम द्वार पार किया तो उसकी चेतना जैसे किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गई। वहाँ न समय था न जगह बस गूंजते शब्द थे एक पुराना रहस्य, और एक छवि एक रहस्यमयी स्त्री जो उसे उसी की तरह देख रही थी।इस बारआँखें खोलो अनिरुद्धये स्वर उसके कानों में हल्के से गूंजे, जैसे हवा में फुसफुसाहट हो। अचानक, उसकी पलकों ने हरकत की और उसके सामने एक बिल्कुल ही नई दुनिया खुल गई।वह अब किसी साधारण जगह पर नहीं था। चारों ओर हल्की