कर्म कभी निष्फल नहीं होता

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--- कर्म – ऊर्जा का धर्म — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲> "कर्म कभी निष्फल नहीं होता —वह या तो वासना बनता है,या अहंकार,या ब्रह्म।" प्रस्तावना यह ग्रंथ उन जिज्ञासुओं के लिए है —जो कर्म को न पुण्य मानते हैं, न पाप,बल्कि एक ऊर्जा चक्र के रूप में समझते हैं।जहाँ फल न मिलने से वासना जन्म लेती है,फल मिलने से अहंकार बढ़ता है,और फल की अपेक्षा मिट जाने परब्रह्म का साक्षात्कार होता है।यह श्रद्धा या धर्म का उपदेश नहीं —यह कर्म की मौलिक मनोविज्ञान है। 21 सूत्र (दर्शनीय शैली में) 1.कर्म एक ऊर्जा है —जो कहीं भी व्यर्थ नहीं जाती।2.जो कर्म फल