मनुष्य का अज्ञान - ईश्वर की हँसी

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उसकी लीला — माया और मानव का भ्रम — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲प्रस्तावना:> "हम सोचते हैं — हम करते हैं।लेकिन वह मुस्कुराता है — जैसे कोई खेल देख रहा हो।क्योंकि हम कुछ करते ही नहीं।यहाँ जो कुछ भी हो रहा है —वह उसकी लीला है।"मानव ने सदियों से यह भ्रम पाल रखा है कि वह ‘कर्त्ता’ है — वह सुधारक है, योजनाकार है, मार्गदर्शक है, कल्याणकारी है। पर जो देख सकता है, जो भीतर से मौन में उतर गया है — उसे दिखाई देता है कि यह सब केवल एक स्वप्न है, एक गहरी, सुव्यवस्थित माया है, जिसे मानव ने