मृत आत्मा की पुकार - 7

Ch 7 : भुलाया गया अनुष्ठानमंदिर के अंधेरे तहखाने से ऊपर लौटने के बाद भी पाँचों की साँसे अब भी भारी थीं। दिमाग़ में गूंजती वो रहस्यमयी आवाज़ — “तुमने फिर कदम रखा… और अब मैं देख रहा हूँ” — हर किसी के भीतर किसी न किसी तरह की बेचैनी छोड़ गई थी।मीरा की हथेली अब शांत थी, लेकिन उसमें बना चिन्ह नीला होकर स्थिर रूप में चमक रहा था — जैसे कोई निष्क्रिय मंत्र जो जागने की प्रतीक्षा कर रहा हो। मंदिर का ऊपरी भाग अपेक्षाकृत शांत था, लेकिन हवा अब भी भारी और बोझिल लग रही थी।रवि ने