Ch 5 : जो आवाज़ पीछा करती है शमशेरपुर का मंदिर हमेशा रहस्यमय रहा है, लेकिन उस रात उसमें कुछ बदल गया था। जैसे उस प्राचीन इमारत ने सदीयों की नींद से उठकर खुद को जीवित कर लिया हो। मंदिर की दीवारों से हल्की सी कंपन उठ रही थी — जैसे वो कुछ कहना चाहती हों। बाहर का अंधेरा कुछ ज़्यादा ही गाढ़ा लग रहा था, और पेड़ों की परछाइयाँ ज़मीन पर अजीब आकृतियाँ बना रही थीं।मीरा, रवि, यामिनी, राघव और तेजा — सब एक साथ मंदिर के अंदर खड़े थे। उनकी आँखों में डर भी था और जिज्ञासा भी।