मृत आत्मा की पुकार - 2

Ch 2 : जो छुपा है, वो सामने आएगाशमशेरपुर की सुबह की हवा कुछ अलग लग रही थी — भारी, गीली, जैसे रात की फुसफुसाहटों ने हवा को सोख लिया हो। बारिश रुक चुकी थी, लेकिन बादल अभी भी नीचे मंडरा रहे थे, और सूरज की रोशनी जहां आनी चाहिए थी, वहां भी लंबी परछाइयाँ पड़ रही थीं। गाँव, जो आमतौर पर चिड़ियों के गीत और बर्तन की आवाजों से भरा रहता था, आज अजीब तरीके से शांत था। बहुत ज़्यादा शांत।मीरा अपने बिस्तर के किनारे बैठी थी, हाथ में अपनी बहन की पुरानी डायरी पकड़े हुए। उसकी आँखें नींद