ईश्वर की लीला बनाम मानव की माया: एक सहज अनुभूति

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प्रस्तावनायह ग्रंथ किसी पंथ, मत, या तर्क की घोषणा नहीं है — यह एक अंतर्यात्रा है, जो प्रकृति, सौंदर्य, प्रेम और चेतना के माध्यम से ईश्वर की लीला का साक्षात्कार कराती है। इस पुस्तक में वह सत्य नहीं है जो किताबों में पढ़ा जाता है, बल्कि वह अनुभूति है जो किसी पुष्प की सुगंध, किसी नदी की लहर, या किसी प्रेममयी स्पर्श में जीवित है। आज का मनुष्य ईश्वर के सृजन से दूर, अपने ही बनाए बंधनों — धर्म, ज्ञान, व्यवस्था — में उलझा है। यह ग्रंथ एक अत्यंत सरल निमंत्रण है: इस माया से बाहर निकलकर उस लीला