कहते हैं सपने सिर्फ सोने के लिए होते हैं... पर अर्जुन ने उन्हें जिया था।वो एक छोटा सा लड़का था, गांव का, साधारण पहनावा और आँखों में असाधारण चमक। उसकी आंखों में हर वक्त कोई नया सपना तैरता था — कभी पायलट बनने का, कभी मंच पर भाषण देने का, कभी किताबें लिखने का।उसके दोस्त हँसते थे,“अबे तू? तू कुछ बड़ा करेगा?”अर्जुन मुस्कुरा देता, लेकिन दिल में कहीं एक चिंगारी सुलग जाती।हर सुबह वो अपने ख्वाबों को पंख पहनाता, और हर शाम उन्हें टूटते देखता। मगर अगली सुबह... वो फिर से उड़ान भरने को तैयार खड़ा मिलता।शायद यही जुनून था