भगत सिंह और चंद्र शेखर आजाद

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भगत सिंह और आजाद के प्रति दुर्व्यवहार लोगों द्वारा गांधी और वायसराय इरविन के बीच चल रही बातचीत में शहीद भगत सिंह और अन्य लोगों के जीवन को बचाने की प्रार्थना किए जाने के बावजूद 5 मार्च, 1931 को गांधी एवं इरविन के बीच हुआ समझौता इस मामले पर मौन रहा तथा गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू ने वास्तव में इन देशभक्तों को बचाने के लिए कुछ नहीं किया। क्रांतिकारी सुखदेव, जिन्होंने अपने और अपने सहयोगियों के लिए रहम की माँग नहीं की, ने गांधी-इरविन समझौते के बाद मार्च 1931 में गांधी को एक खुला पत्र लिखा— “आपने समझौते (गांधी-इरविन समझौते) के