पापा, अब बस।

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Chapter 1 – गांव की इच्छारात की ठंडी हवा ने पूरे गाँव को थपकी दी थी। अंधेरों में सिर्फ कुत्तों के भौंकने की आवाज़ थी, पर एक छोटी सी झलक सुबह की रौशनी भी पिघलने लगी थी। उसी रौशनी की एक हल्की सी किरण इच्छा के मासूम चेहरे पर पड़ती है।इच्छा... एक छोटी सी गाँव की लड़की, जिसके सपने उसकी उम्र से बड़े थे। उसकी चादर उसके चेहरे पर से सरकती है, और वो अपनी नींद भरी आँखों से पलकें खोलती है। बाहर से बच्चों की आवाज़ें आ रही हैं — खुशी से छलकती हुई, निर्दोष।> "इच्छा, जल्दी आ! नहीं