सजा का भय

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कैसलपुर के राजा इंद्रसेन अपनी न्यायप्रियता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। उन्होंने न केवल न्यायशास्त्र का गहन अध्ययन किया था, बल्कि अपने दरबार में पांच न्याय शास्त्र विशेषज्ञों की नियुक्ति कर जनता को निष्पक्ष न्याय दिलाने की मजबूत व्यवस्था भी की थी।एक दिन उनके दरबार में एक वृद्धा आई। उसकी पीठ उम्र के बोझ से झुक चुकी थी और कांपते हाथों से पकड़ा डंडा उसके अंतिम सहारे जैसा था। वह बड़ी कठिनाई से चलती हुई सिंहासन के समीप पहुंची और करुण स्वर में बोलीक-‘राजन, मैं बीरपुर गांव से आई हूं। वर्षों पहले मेरे पति चल बसे। उनका एकमात्र सहारा