ये कहानी सिर्फ एक लड़की की नहीं...ये उन तमाम मौन की चीख है, जिसे हमने “मामला संवेदनशील है” कहकर दबा दिया।ये उस माँ की आंख है जो रोते-रोते सूख गई, और उस मिट्टी की शर्म है जिसने एक नाबालिग का खून चुपचाप पी लिया।जी हां मैं बात कर रहा हूं उसी घटना की जो 2024 में उत्तर प्रदेश में घटित हुई थी जहां एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करके उसे मौत की नींद सुला दिया गया और प्रशासन चुप रहा, समाज तमाशाई बनकर तमाशा देखता रहा।एक दिन शाम के पाँच बज रहे थे। सूरज डूबने को था, पर उस