खुशियाँ खून में बह गयी

"खुशियां खून में बह गयी" बात वर्ष 2000 की है, जब "गीता" नाम की लड़की की शादी मां-बाप बड़े ही धूमधाम से करते हैं। मां-बाप बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि उन्हें एक होनहार, स्वभाव से अच्छा "लड़का" मिल जाता है। जोकि "गीता" से बहुत प्रेम करता है। शादी के लगभग एक वर्ष बीत जाने के उपरांत इस "कहानी" का आगाज होता है, जब वर्ष 2001 में "गीता" प्रसव-पीड़ा से गुजर रही होती है। (यह कहानी वर्ष 2001 की एक "सत्य" घटना पर आधारित है। सभी पात्र "वास्तविक" है परंतु उनके नाम बदलें गए हैं। संवाद लेखक की "कल्पना"पर आधारित हैं।गीता..