दृश्य 1: बूढ़े आदमी का घर – अंदर का बैठक कमरा – रात 11:30 बजेएक गहरा सन्नाटा उस पुराने लकड़ी के घर पर छाया हुआ था। दीवारें धीमे-धीमे चरमराने लगी थीं, और छत से लटकता पीला बल्ब डर के मारे कांपता-सा टिमटिमा रहा था।मोहन अकेला ज़मीन पर बैठा था, घबराहट में अपने घुटनों पर उंगलियाँ बजा रहा था। वह अभी-अभी ड्राइवर से फोन पर बात करके उठा था।मोहन (धीरे से बुदबुदाते हुए):“भाई... जल्दी निकलना... कुछ तो सही नहीं लग रहा।”तभी पीछे वाले कमरे से हल्की सी खड़खड़ाहट की आवाज़ आई — वही कमरा जिसमें बूढ़ा आदमी सोता था।मोहन एकदम से