"---मतलब ----" ये एक सत्य कहानी है। जीवन को इतना तो काबिल कर लो, जो तुम्हारी काबलियत हर शक्श को पता चले। दुनिया मतलबी है, बाद मे वो यही कह देती है अगर बात नहीं सुनी " किस गुमान मे है, आज कल कहा सुनता है आपनी बात " तुम्हे बस तोड़े गी। ये दुनिया, जख्मो पे नमक छिड़के गी।। मंदिर के कपाट अभी खुले ही थे, समय होगा 6 वजे का। सुबह रोज ऐसी ही चढ़ती है, ऐसे ही दिन डल जाता है। कितना आपना पन था लोगों मे, आज मोबाइल ने सब कुछ छीन लिया.... रिश्तेदार भी बस