कमरे के बाहर दीवार पर खून से लिखा वह वाक्य — “जो यहाँ आता है, वो लौटता नहीं” — सबकी साँसें रोक चुका था। आर्यन ने हाथ से तारा को पीछे किया और धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर बढ़ा। कबीर का चेहरा पूरी तरह ज़र्द पड़ गया था, लेकिन फिर भी वो डर के मारे आर्यन के पीछे-पीछे चलता गया।रिया रोती हुई सीढ़ियों पर बैठ गई थी। उसका दिल तेज़-तेज़ धड़क रहा था, लेकिन डर से ज़्यादा उसे इस बात की चिंता थी कि देव कहाँ गया था? क्या वो ठीक था?“दरवाज़ा तो खोलो आर्यन,” कबीर ने धीमे से कहा।“तू खोलेगा?”