उजाले की ओर –संस्मरण

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प्रिय साथियों  स्नेहिल नमस्कार    कभी ऐसा होता है न कि कोई अचानक ही हमें बरसों बाद याद करे और हम हतप्रभ रह जाएं !  यह सोशल मीडिया जहाँ परेशानी देता है वहाँ प्रसन्नता भी देता ही है यानि वही बात हो गई न, एक सिक्के के दो पहलू !  अचानक एक दिन रात को मैसेंजर पर एक मैसेज देखकर चौंक गई. पह्चान नहीं पा रही थी, किसी ने मुझसे नम्बर मांगा था. एक बार तो ऐसी फंसी थी कि एफबी अकाउंट ही हैक करवा लिया था, कई दिन बंद करना पद डा, सबको बोलना पड़ा कि किसी के मेरे