भूल-77 घटिया नेतृत्व और प्रशासन “ ...इसलिए इस बात पर जरा भी आश्चर्य नहीं होता कि भारत ने सिर्फ दूसरे व तीसरे दर्जे के राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व का निर्माण किया, जिसकी शुरुआत जवाहरलाल नेहरू के साथ हुई, जो जैसा कि इसे होना चाहिए, आखिरकार वैसे दलदल में तब्दील हो गई, जो आज व्यापक और अत्यधिक चलन में है। सन् 1963 में पूर्व ब्रिटिश कॉमिंटर्न एजेंट फिलिप स्प्रैट ने नेहरूवादी कांग्रेस के नेतृत्व को ‘भूखे पदलोलुपों के सत्ताधारी दल’ के रूप में वर्णित किया।” —संदीप बालकृष्ण (एस.बी.के./एल-286) अस्पष्ट और अनिश्चित; काम करने को तत्पर नहीं कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर नेहरू ने जहाँ आवश्यकता थी, वहाँ