यह कहानी है वशु की, जो एक किन्नर के रूप में जन्म लेता है, पर उसे उसके माता-पिता भगवान का वरदान मानते हैं। समाज के तानों, स्कूल की बुराईयों और जीवन की ठोकरों के बीच उसका एकमात्र सहारा होता है — उसका सच्चा दोस्त अर्नव। अर्नव के विदेश जाने के बाद वशु खुद को वशुद्रा के रूप में फिर से जन्म देता है। संघर्षों के बीच वह एक प्रसिद्ध वकील और फिर भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज बनती है। यह उपन्यास आत्म-सम्मान, प्रेम और पहचान की लड़ाई का प्रेरणादायक चित्र है।लेखक: Aadi Jainकहानी का शीर्षक: "मैं वशुद्रा हूँ"संदीप और माया,