कछुआ… हार गया ! हुआ यूं कि खरगोश को नींद आ गई.. नींद तो आनी ही थी क्योंकि कहानी का क्लाइमेक्स आना अभी बाकी था | नींद ठहर जाने का नाम है , ठहराव का सबसे अच्छा स्वरूप है नींद और नींद से उठ कर भागने का जो मजा है उसकी तो कोई बात ही नहीं. खरगोश भी भागा, बेतहाशा जोर लगाकर, बेसुध होकर मंजिल की ओर… किंतु देर हो चुकी थी और कछुआ जीत चुका था, क्योंकि कछुआ सोया नहीं था चला जा रहा था, निरंतर लगातार लक्ष्य की ओर जिसे उसने हासिल कर लिया था, ऐसा ही तो