चाय के किस्से - 2

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           कटिंग चाय और कटे हुए नंबर राजेंद्र नगर की एक संकरी गली में, जहाँ सुबह की पहली किरणें अभी ठीक से पहुँची भी नहीं थीं, "आदित्य टी स्टॉल" सुबह 6 बजे ही अपने छोटे से चूल्हे और चाय की केतली की खनक के साथ जीवंत हो उठता था। इस छोटे से स्टॉल की महक, अदरक और इलायची के मिश्रण से बनी, पूरे गली में फैल जाती, और यह केवल एक चाय की दुकान नहीं, बल्कि कई कहानियों का संगम स्थल था। यहाँ दिन की शुरुआत होती थी, उम्मीदें परवान चढ़ती थीं, और अक्सर संघर्षों को भी