भूल-65 कभी न खत्म होने वाली गरीबी और जीवन-स्तर नीचे दिए गए आँकड़े नेहरू राजवंश के समय से लेकर यू.पी.ए.-1 और 2 तक के हैं। वर्ष 2014 के बाद से हालात सुधरने लगे हैं, हालाँकि धीरे-धीरे। नेहरूवादी आर्थिक नीतियों की बदौलत करोड़ाें भारतीयों को कभी न खत्म होनेवाली गरीबी का अभिशाप झेलने को मजबूर होना पड़ा। हमारे पास गरीबों की सबसे बड़ी संख्या है—दुनिया के गरीबों की एक-तिहाई! विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, एक तरफ जहाँ 69 प्रतिशत भारतीय प्रतिदिन 2 डॉलर से भी कम में जीवन व्यतीत करते हैं, 33 प्रतिशत 1.25 डॉलर प्रतिदिन की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे आते