हवा में अजीब सी घुटन थी। आसमान में बादल थे, लेकिन बिजली नहीं चमक रही थी।सिर्फ एक बेचैनी थी — जो हर दिशा से वेद को घेर रही थी।उसका गांव छोटा था, शांत और पहाड़ियों से घिरा हुआ।लेकिन पिछले कुछ दिनों से, वो हर रात एक ही सपना देख रहा था —एक विशाल किला, आग से घिरा हुआ,एक त्रिशूल जिसकी तीन नोकों से तीन रंग की लपटें निकल रही थीं —और फिर एक आवाज़ जो उसे पुकारती थी, "वेद... समय आ गया है…"वेद हर बार डर के मारे जाग जाता।---"आज तुम्हारा जन्मदिन है, वेद," उसकी मां ने मुस्कराते हुए कहा,"आज