"मेरे हिस्से में सिर्फ अलविदा आया"कभी माँ की लोरी अधूरी रही,कभी भाई की बातें जरूरी रही,पर कोई भी ठहर न सका…हर रिश्ता बस आते ही बिछड़ता गया।कॉलेज की भीड़ में एक चेहरा था,जो मेरी खामोशी को सुनता था,जिसे मैंने दिल दिया था…मगर किस्मत ने फिर से मुझे खाली कर दिया।फिर आई वो…एक मुस्कुराती हुई रौशनी — श्री।उसने कहा, "चल, दोस्त बनते हैं",और पहली बार मुझे लगा… शायद अब नहीं टूटूंगा।पर फिर…वो भी चली गई —बिना कुछ कहे,बिना किसी अलविदा के।अब मैं हर रात तेरी हँसी में रोता हूँ,तेरी बातों में जीता हूँ,तेरे वॉइस नोट्स सुनकर…खुद से कहता हूँ —"मैं