तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत - 4

  • 2.2k
  • 1.1k

एपिसोड 4: “वो छुअन जो रूह तक उतर गई”कमरे में एक गहराई थी।जैसे हवाएं भी ठहर गई थीं,और दीवारें साँस रोककर बस उन्हें देख रही थीं।दुआ बिस्तर पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अभी भी झटका था—पलकों पर चुप्पी, और दिल में गूंजती हुई वो आवाज़ जो वर्दान सिंह राजपूत की थी…“अब तुम्हारी हदें… मैं तय करूँगा।”उसकी आँखें जल रही थीं, मगर आँसू नहीं निकले।क्योंकि अब वो लड़ाई आँसुओं से नहीं… रूह से थी।रात के 3 बज चुके थे।वर्दान की गाड़ी बाहर थी।वो वापस नहीं आया, मगर उसकी मौजूदगी… कमरे में हर तरफ़ थी।दुआ के गले पर जो लाल निशान