गुनाहों की सजा - भाग 8

रीतेश के मुँह से कर्त्तव्य वाली बात सुनकर माही ने कहा, "आपने मुझसे शादी की है तो कुछ कर्त्तव्य तो आपका भी मेरे प्रति बनता है।" रीतेश ने झुंझलाते हुए कहा, "माही, तू मुझे हर रात अपमानित करेगी तो क्या मैं तेरी आरती उतारूंगा? अरे, अपमान का बदला अपमान। तू मुझे हर रात खुश रख ताकि मुझे जबरदस्ती करना ही न पड़े, और फिर अब तक भी तूने मकान की बात तो अपने पापा से की नहीं। लगता है, तेरे भाई का प्यार ही तुझे रोक रहा है। उसका ही कुछ करना पड़ेगा। एक बार वह मकान दिलवा दे, बस