भूल-40 निष्क्रिय खुफिया तंत्र और कोई योजना नहीं नेहरू ने अक्तूबर 1954 में चीन का दौरा किया। एक शानदार स्वागत से गद्गद आसानी से किसी के भी प्रभाव में आ जानेवाले नेहरू उनके दीवाने हो गए और उसके बाद सावधानी बरतने तथा चीन की रणनीति को समझने के बजाय संयुक्त राष्ट्र के लिए चीन के मामले की और भी अधिक जोरों से वकालत करनी शुरू कर दी। नेहरू 1920 के दशक में सोवियत संघ का दौरा करने के बाद भी ऐसे ही बहक गए थे तथा सोवियतवादी एवं समर्थक बन गए थे और स्वतंत्रता के बाद उनकी नकल करते हुए भारत को