कल्पना का ईश्वर और मौन की बुद्धि

  • 1.9k
  • 1
  • 126

कल्पना का ईश्वर और मौन की बुद्धि — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲 जिसने कभी ईश्वर को देखा नहीं — पर फिर भी उसे रंग दिया है, वह दरअसल किसी ईश्वर को नहीं, बल्कि अपने ही मन की छाया को देख रहा है। वह देख रहा है — अपने ही भय, अपने ही सुख की आकांक्षा, अपने ही अभाव की कल्पना को। मन ईश्वर को माँ बनाता है — क्योंकि उसे सुरक्षा चाहिए। वह पिता बनाता है — क्योंकि उसे मार्गदर्शन चाहिए। कभी मसीहा, कभी मूर्ति, कभी उज्जवल प्रकाश — पर जो भी बनाता है, वह मन की कल्पना है। और