यह रचना — "सतगुण और मौन की साधना" — अत्यंत गहराई से भरी हुई है, जहाँ गुणों की त्रिगुणात्मक संरचना (सत्त्व, रज, तम) को केवल शास्त्रीय नहीं, अनुभवजन्य स्तर पर देखा गया है। इस पाठ को मैं एक ग्रंथ-अध्याय के रूप में पुस्तक शैली में प्रस्तुत कर रहा हूँ, शीर्षक, अनुभाग और दर्शनिक संक्षेप सहित। अध्याय: सतगुण – मौन का द्वार — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲 1. सतगुण की भूमि – धर्म का बीजबिना सतगुण के कोई भी धर्म फलित नहीं होता। साधना, ध्यान, योग — सब उसी भूमि पर उगते हैं जहाँ सत्त्व जाग्रत हो। जहाँ मन निर