मंजिले - भाग 36

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"-----टूटे हुए तारे -----" ये एक स्वेदनशील कहानी अति प्रिये है मेरी..... मंज़िले कहानी सगरहे मे ------                               वो नुकड़ वाली शॉप लाल चंद की आज 10 वजे के बाद ही खुली थी... बस स्टेण्ड के साथ वाली जो चार पांच गज की जगह मे बनी हुई थी, टीन की छत गर्मी मे खूब गर्म... ठंडी मे खूब ठंड... बर्षा के मौसम मे टिप टिप आवाज़ और धार पानी की वेह जाती लगातार... मौसम कितना सुहाना लगता उसके नीचे खडे होकर... ये कितना भावक दृश्य होता था। जयादा लोग खडे होकर ही चाये पीते थे... जिसने एक बार पी ली, वो बार