कहानी का शीर्षक: एक अनोखी मुलाकातयह कहानी एक छोटे बच्चे सौरभ की है, जो भीड़-भाड़ में अपने माँ-बाप से बिछड़ गया था और विदिशा की गलियों में अकेला, भूखा और डर के साये में जीवन जी रहा था। लेखक की नजर उस मासूम पर तब पड़ी जब वह कचरे के ढेर में खाना ढूंढ रहा था। कुछ दिन बाद वह बेतवा नदी किनारे दोबारा मिला, जहाँ लेखक ने उससे बातचीत कर धीरे-धीरे उसका भरोसा जीता। सौरभ ने बताया कि उसकी माँ अरीषा खाना बनाने और पिता आशोक मजदूरी करने शहर जाते थे। एक दिन वह भी उनके साथ बस में