पृथ्वीराज सूरजमल के षड्यंत्र-पाश में सूरजमल कुशल कूटनीतिज्ञ था, इसमें कोई संदेह नहीं। उसने युवराज पृथ्वी और कुँवर संग्राम सिंह के बीच हुए झगड़े की बात स्वयं महाराणा रायमल को बताई। ‘‘हमारे पुत्रों में सिंहासन को लेकर इतना वैमनस्य बढ़ गया कि दोनों एक-दूसरे के रक्त के प्यासे हो उठे।’’ महाराणा चिंतित और गंभीर स्वर में बोले, ‘‘और हमें इसकी भनक तक नहीं?’’ ‘‘महाराज! यह वैमनस्य आज ही सामने आया है और ईश्वर की कृपा थी कि उस अवसर पर मैं उपस्थिति था, अन्यथा अनर्थ हो जाता।’’ सूरजमल ने चिंतित स्वर में कहा, ‘‘अब आज ही इस विषम परिस्थिति का कोई हल निकालें।’’ ‘‘कुमार!