दो दिन बाद,देव का हाथ अब काफी हद तक ठीक हो चुका था। वह दो दिन से अपने कमरे में ही बैठकर जयदेव चावरिया का ( माय फर्स्ट मर्डर केस ) उपन्यास पढ़ रहा था। देव को मर्डर मिस्ट्री उपन्यास बहुत पसंद थे। अभी वह उपन्यास में डूबा हुआ था। की जब ही दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, देव ने देखा की दरवाजे पर उसकी बहन पूजा थी। "देव! क्या में अंदर आ सकती हूं ?""अरे! बहन आप कैसे बात कर रही हो?पूजा कमरे में अंदर आकर देव के बगल में बैठ गई। "देव! अब तुम्हारा हाथ कैसा हैं ? उम्मीद