लड़का होना आसान नहीं होता - भाग 5

अध्याय 5 — ‘मर्द बनो’ वाली दुनिया में टूटी हुई आत्मा(1) सुबह जो कुछ बदल गई थी…रात की नींद तो आई ही नहीं थी… तकिए की सीली हुई जगह इस बात की गवाही दे रही थी कि फिर एक लड़का... आज भी अंदर से रोया है।अलार्म बजा था, पर उसके मन में कोई आवाज़ नहीं थी जो कहे — “उठो, कुछ करना है।”आज भी वही रूटीन था — मुँह धो, नाश्ता कर और उस दुनिया में वापस लौट जहाँ उसे हर रोज़ ‘मज़बूत लड़का’ बनकर दिखाना पड़ता था।माँ ने पूछा,“क्या हुआ बेटा, आज कुछ परेशान लग रहा है?”पर उसने मुस्कराकर