अध्याय 1: बचपन का बोझ(आयुष की कहानी)---"लड़कों को बचपन में ही मर्द बना दिया जाता है, जबकि वो भी बस एक बच्चा होता है..."---️ प्रस्तावना (Emotional Opening)कितनी अजीब बात है ना...बचपन जहाँ खेल और खिलौनों का होना चाहिए,वहाँ कुछ बच्चों के हिस्से सिर्फ ताने, ज़िम्मेदारियाँ और रोने की मनाही आती है।क्यों?क्योंकि वो "लड़का" है।लड़का यानी वो, जिसे बचपन में भी यह कह दिया जाता है—"मर्द बन, रोता क्यों है?""तू क्या लड़की है?""तुझे तो परिवार संभालना है, अब से ही सीख!"लेकिन क्या कभी किसी ने उससे पूछा कि,"क्या वो तैयार है इतना कुछ सहने के लिए?"--- आयुष की सच्ची सी