ऐसे ही दिन बीत रहे थे।।। अभिमान आन्या से बोहोत प्यार करने लगा था।।।आन्या ने बारवी की ईक्जाम दि पर उसके पिता ने उसे आगे पढ़ने की अनुमति नही दी।।। ।अभिमान रात को आन्या से बात कर पाता था।।।।राघव को ने भी अपना कार्स पूरा कर अब ओ अभिमान के रेस्टोरेंट का मैनेजर बन गया था।।।।झलक भी अपना पास्ट सब कूछ भूला कर राघव के साथ एक ही घर मै रहती थी।।।। दो साल बाद रात का समय।।। अभिमान आन्या से बात कर रहा था। उसका लैपटॉप उसके सामने था ओ बस एक टक आन्या को देखे जा रहा था उसने करीब दो महिने बाद