फिर से शुरू करूँ - 2

दृश्य 4:⏳ समय: दोपहर की बेला स्थान: गाँव का मुख्य चौराहा – मंदिर मार्ग️ माहौल: सजी हुई गलियाँ, भीड़ की उत्तेजना और एक रहस्यमयी शांति---[EXT. गाँव – दोपहर का समय]सूरज सिर पर था, फिर भी एक अजीब-सी रोशनी आकाश से धीरे-धीरे उतर रही थी।वो रोशनी इतनी चमकीली थी कि उसकी सफ़ेदी में सूरज की गर्मी तक मद्धम पड़ गई।उस रोशनी में तीन पालकियाँ ज़मीन पर उतरीं।हर पालकी में एक दिव्य आकृति विराजमान थी — इंसानों जैसी, मगर कुछ और ही थीं।उनके चेहरे पर ऐसी सुंदरता, जैसे समय ने भी रुककर उन्हें तराशा हो।एक हल्की सी मुस्कान — इतनी कोमल