अभिमान अपने सिर के पीछे हाथ फेरते हुए, हल्की सी झुंझलाहट में बुदबुदाया,"ज्यादा ही परेशान कर लिया..."फिर लंबी साँस लेकर बुलेट स्टार्ट की और रेस्टोरेंट की ओर निकल पड़ा।रेस्टोरेंट पर पहुँचते ही राघव ने उसे देखकर कहा,"भाई, मैं अंकल के साथ दूसरे ब्रांच जा रहा हूँ, ज़रा अर्जेंट काम आ गया है।"अभिमान ने बस सिर हिलाया और काम में लग गया।राघव अपनी कार में बैठा और इंदौर के दूसरे ब्रांच की ओर निकल पड़ा, जहाँ अमित जी पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे।वहाँ एक दिक्कत थी — रेस्टोरेंट के सामने की सड़क पर पार्किंग की जगह नहीं बची थी।अमित