आप मुझे कहां लेकर जा रहे हैं?"लड़की ने घबराई हुई आँखों से राघव की ओर देखते हुए पूछा। उसकी आवाज़ में डर, संकोच और टूटा हुआ आत्मविश्वास साफ झलक रहा था।राघव ने एक पल को उसकी आँखों में झाँका और नरम लहजे में कहा,"मेरे घर..."लड़की ने तुरंत सिर हिलाते हुए धीमी, लेकिन कड़ी आवाज़ में कहा,"नहीं... नहीं... मुझे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ दीजिए। मैं... मैं उस दुनिया की लड़की हूँ जिसे उसका मामा एक कोठे पर बेच आया था..."राघव का दिल एक पल को कांप गया।लड़की बोलती रही, उसकी आवाज़ अब कांपने लगी थी —"मेरे माँ-बाप बचपन में ही