चांदनी रात की ठंडी फिज़ा में तारा स्टेशन की खामोशी सुन रही थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था और हवाएँ हल्की-हल्की सरसराकर वातावरण को ठंडा कर रही थीं। खेतों की ओस चाँदनी की रोशनी में चमक रही थी, मानो प्रकृति रात के इस पल में जिंदा हो। दूरिहटी रेल पटरी पर लाल-बत्ती वाला सिग्नल हल्का सा झिलमिला रहा था, जैसे रात की आखिरी ट्रेन का आने का इंतज़ार कर रहा हो।तारा, जो साहसी और जिज्ञासु प्रवृत्ति की लड़की थी, उस सुनसान स्टेशन पर खड़ी थी। शहर की भीड़-भाड़ और विश्वविद्यालय की पढ़ाई से दूर, उसकी आत्मा को यह लंबी