नेहरू फाइल्स - भूल-28

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भूल-28 महाराजा से अपनी खुशामद करवाने की चाह नेहरू ने बिल्कुल अनुपयुक्त तरीके से महाराजा के साथ तिरस्कारपूर्ण व्यवहार किया, जबकि शेख अब्दुल्ला को अपना पूर्ण समर्थन दिया और ऐसा करते हुए उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि विलय के अनुबंध पर महाराजा के हस्ताक्षर के बिना जम्मूव कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं हो सकता था। जब अब्दुल्ला ने मई 1946 में महाराजा के खिलाफ ‘अपमानजनक और उपद्रवी’ (बी.के./375) कश्मीर छोड़ो आंदोलन शुरू किया था, जिसका नतीजा उनकी गिरफ्तारी (भूल#27) के रूप में सामने आया था तो नेहरू ने जून 1946 में अब्दुल्ला को रिहा करवाने के लिए