मंजिले - भाग 34

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मंजिले कहानी सगरहे की घुटन -----जिंदगी चरदिवारी मे बंद होकर रहे गयी.. सकून अब कहा रह गया था। जिंदगी के ऊंचे दाव कोई ईमानदार कैसे खेल सकता था। खेलने के लिए बाईमान होना लाजमी होता है।जिसने कभी झूठ नहीं बोला, वो सख्श आज की तारीख मे कौन हो सकता है... बाईमान बनोगे, तो मिस्टर आमीर बन जाओगे, पर जिनका जमीर मर गया होगा वही ऐसा कर सकता है।                                  घुटन तभी खारो जैसी चुभती है, ज़ब तुम चार दीवारों मे जकड़ लेते हो आपने आप को, सच कहता हूँ, कभी बोझ को हटाओ, फिर देखो घुटन कैसे तुमसे लाखो मील दूर भाग