श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-दो - नवम अध्याय

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नवम अध्याय श्री बोप्प का नाम वरण कर बप्पा रावल कहायो है दो मास और बीत गये। सिंधु नदी के तट से कुछ कोस दूर देवा अनाज के बोरों को बैलगाड़ी में लदवा रहा था। कालभोज ने वहाँ आकर निरीक्षण करते हुए प्रश्न किया, “कब तक का राशन है ?” सिपाहियों द्वारा बोरे लदवाते हुये देवा ने पूरे विश्वास से कहा, “इतना है कि सेना ब्राह्मणाबाद की सीमा में प्रवेश कर जायेगी। इससे अधिक अनाज लिया तो आलोर के निवासियों को भूखा रहना पड़ जायेगा।” “नहीं उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। वैसे भी सूचना आ चुकी है। महाराज नागभट्ट और चालुक्यराज विजयादित्य ने ब्राह्मणाबाद