श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-दो - अष्टम अध्याय

अष्टम अध्याय बगदाद में बगावत अगले दिन का सूर्य उदय होते होते अरबों की सेना अलोर नगर की सीमा से बाहर आ गयी, और संध्या होते होते उन्होंने नगर से कोसों दूर शिविर लगाया। शीघ्र ही रात्रि का अंधकार छाया। अग्नि के निकट बैठा कासिम गहरी सोच में डूबा हुआ था। तभी रुकसाना बेगम ने पीछे से आकर उसे टोका, “सिपाहियों को भेजकर कितनी बार बुलावाया तुम्हें। हमारी इतनी भी इज्जत नहीं करते कि मुलाक़ात को आ जाओ।” कासिम ने पलटकर अम्मी की ओर देखने का प्रयास भी नहीं किया। मुट्ठियाँ भींचते हुए किसी प्रकार उसने अपने अश्रुओं को नियंत्रित करने का प्रयास किया,